Sunday, July 19, 2020

चलो कुछ हादसे होने से बच गये!

सड़कें ये सुनसान हैं
चलो कुछ हादसे होने से बच गये
कुछ बसें बेसुध नही चलीं
कुछ बिगड़े नवाब घर में फंस गये
चलो कुछ हादसे होने से बच गये....
चिमनियों से अब धुएं नहीँ उठते
चलो कुछ सासें खुल के जी लें
गुर्दों को कुछ ताज़ी हवा की खुराकें दें 
कुछ दिन ज़हरिली हवा में खाँसने से बच गये
चलो कुछ और हादसे होने से बच गये...
कल खिड़की पे एक गौरैया गा रही थी
मीठी आवाज में गुनगुना रही थी
ज़माने बाद इसे इतने पास से देखा है
पंछियों को शायद ये सन्नाटे जच गये
चलो कुछ और परिंदे वापस पेड़ो पे बस गये
चलो कुछ और हादसे होने से बच गये...
अब सुबह की चाय फुर्सत से पीते हैं
बिना हड़बड़ाए आस्माँ को जी रहे हैं
सबकी सुनते हैं और शायद सबको अब समझ गये
कुछ रंजिशों के दिन और बच गये
चलो कुछ और हादसे होने से बच गये....





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