ज़िन्दगी को क्या कहें ज़िन्दगी का दोष नही
किस्सा है उम्मीदों का, आशाओं का बोझ नहीं
कुछ सोचते हैं क्या सोचते हैं, उलझ से जाते हैैं
हम अक्सर अपनी ही बातों से बहक से जाते हैं
आंसुओ का दौर नहीं, दिल का भी शोर नहीं
बस कुछ समुझ नहीं आता बात कुछ और नहीं
ना रात की तन्हाई है, ना दिन भर का काम
ना सुबह गम भरी होती है न अकेली है शाम
फिर भी कुछ है जो नहीं है मेरे पास
ना जाने कैसा है यह भरा सा खाली सा एहसास
बोलों की कमी नहीं, बातों की कतारें भी हैं
हँसी के झोके भी हैं, प्यार की बहारें भी हैं
अजीब सा लगता है फिर भी आज कल
अपने हो के भी जुड़ नहीं पा रहे हैं मुझसे ये सारे पल
किसी से कुछ कहना चाहतें हैं मेरे लफ्ज़ खामोश नहीं
पर ज़िंदगी को क्या कहें ज़िन्दगी काम कोई दोष नहीं....
किस्सा है उम्मीदों का, आशाओं का बोझ नहीं
कुछ सोचते हैं क्या सोचते हैं, उलझ से जाते हैैं
हम अक्सर अपनी ही बातों से बहक से जाते हैं
आंसुओ का दौर नहीं, दिल का भी शोर नहीं
बस कुछ समुझ नहीं आता बात कुछ और नहीं
ना रात की तन्हाई है, ना दिन भर का काम
ना सुबह गम भरी होती है न अकेली है शाम
फिर भी कुछ है जो नहीं है मेरे पास
ना जाने कैसा है यह भरा सा खाली सा एहसास
बोलों की कमी नहीं, बातों की कतारें भी हैं
हँसी के झोके भी हैं, प्यार की बहारें भी हैं
अजीब सा लगता है फिर भी आज कल
अपने हो के भी जुड़ नहीं पा रहे हैं मुझसे ये सारे पल
किसी से कुछ कहना चाहतें हैं मेरे लफ्ज़ खामोश नहीं
पर ज़िंदगी को क्या कहें ज़िन्दगी काम कोई दोष नहीं....
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