Tuesday, July 14, 2020

जिन्दगी का दोष नही!

ज़िन्दगी को क्या​ कहें ज़िन्दगी का दोष नही

किस्सा है उम्मीदों का, आशाओं का बोझ नहीं

कुछ सोचते हैं क्या सोचते हैं, उलझ से जाते हैैं​

हम अक्सर अपनी ही बातों से बहक से जाते हैं

आंसुओ का दौर नहीं, दिल का भी शोर नहीं

बस कुछ समुझ नहीं​ आता बात कुछ और नहीं

ना रात की तन्हाई​ है, ना दिन भर का काम

ना सुबह गम भरी होती है न अकेली है शाम

फिर भी कुछ है जो नहीं है मेरे पास

ना जाने कैसा है यह भरा सा खाली सा एहसास​

बोलों की कमी नहीं, बातों की कतारें भी हैं

हँसी के झोके भी हैं, प्यार की बहारें भी हैं

अजीब​ सा लगता​ है फिर भी आज कल

अपने​ हो के भी जुड़ नहीं​ पा रहे हैं मुझसे ये सारे​ पल

किसी से कुछ कहना चाहतें हैं मेरे लफ्ज़​ खामोश नहीं

पर ज़िंदगी को क्या कहें ज़िन्दगी काम कोई दोष नहीं....

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