Sunday, July 19, 2020

चलो कुछ हादसे होने से बच गये!

सड़कें ये सुनसान हैं
चलो कुछ हादसे होने से बच गये
कुछ बसें बेसुध नही चलीं
कुछ बिगड़े नवाब घर में फंस गये
चलो कुछ हादसे होने से बच गये....
चिमनियों से अब धुएं नहीँ उठते
चलो कुछ सासें खुल के जी लें
गुर्दों को कुछ ताज़ी हवा की खुराकें दें 
कुछ दिन ज़हरिली हवा में खाँसने से बच गये
चलो कुछ और हादसे होने से बच गये...
कल खिड़की पे एक गौरैया गा रही थी
मीठी आवाज में गुनगुना रही थी
ज़माने बाद इसे इतने पास से देखा है
पंछियों को शायद ये सन्नाटे जच गये
चलो कुछ और परिंदे वापस पेड़ो पे बस गये
चलो कुछ और हादसे होने से बच गये...
अब सुबह की चाय फुर्सत से पीते हैं
बिना हड़बड़ाए आस्माँ को जी रहे हैं
सबकी सुनते हैं और शायद सबको अब समझ गये
कुछ रंजिशों के दिन और बच गये
चलो कुछ और हादसे होने से बच गये....





Tuesday, July 14, 2020

जिन्दगी का दोष नही!

ज़िन्दगी को क्या​ कहें ज़िन्दगी का दोष नही

किस्सा है उम्मीदों का, आशाओं का बोझ नहीं

कुछ सोचते हैं क्या सोचते हैं, उलझ से जाते हैैं​

हम अक्सर अपनी ही बातों से बहक से जाते हैं

आंसुओ का दौर नहीं, दिल का भी शोर नहीं

बस कुछ समुझ नहीं​ आता बात कुछ और नहीं

ना रात की तन्हाई​ है, ना दिन भर का काम

ना सुबह गम भरी होती है न अकेली है शाम

फिर भी कुछ है जो नहीं है मेरे पास

ना जाने कैसा है यह भरा सा खाली सा एहसास​

बोलों की कमी नहीं, बातों की कतारें भी हैं

हँसी के झोके भी हैं, प्यार की बहारें भी हैं

अजीब​ सा लगता​ है फिर भी आज कल

अपने​ हो के भी जुड़ नहीं​ पा रहे हैं मुझसे ये सारे​ पल

किसी से कुछ कहना चाहतें हैं मेरे लफ्ज़​ खामोश नहीं

पर ज़िंदगी को क्या कहें ज़िन्दगी काम कोई दोष नहीं....